ज़िन्दगी मिली आज चाय पर, इत्तेफ़ाक़न ही ये बात हुई है। शिकवों की छतरी क्या खोलते; एक अरसे बाद आज हम पर भी, खुशियों की बरसात हुई है। ©Prashant Shakun "कातिब" #ज
Prashant Shakun "कातिब"
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