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"मुश्किल घड़ी और दोस्त धूप में छाव जैसे है मेरे दोस्त,,
चलती हवाओ के आराम से है मेरे दोस्त,,
मतलबी दुनिया से मतलब निकाल ले
ऐसे बेमतलब नही है मेरे दोस्त,,
गले मे हाथ डाल कर गला ही
काट ले ऐसे कातिल नही है मेरे दोस्त,,
किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे से डर जाए
ऐसे बेगैरत नही है मेरे दोस्त,,
तू चल, मैं हूं तेरे पीछे तू बोल मैं शोर
जैसा हूं तेरे गले नीचे... ऐसे है मेरे दोस्त,,
मुश्किल घड़ी में हौंसलो की छड़ी से
बुरे वक्त को पीट कर भगा देते है मेरे दोस्त,,"