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White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसन

White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके
  जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने #Quotes

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