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#MessageOfTheDay आशा थी जिसकी मुझको उसमे ही मै उलझ

#MessageOfTheDay आशा थी जिसकी मुझको
उसमे ही मै उलझ गया हूं
प्रयास निरंतर करता आया
दलदल की भांति सरक गया हूं
उठाने को अब दम मै हारा
विश्वास में तेरे जी रहा हूं
आंधी आए झकोरे आए
फिर भी पथ पे चल रहा हूं
पथिक पुराना मैंने जाना
रस्ते फिर क्यो भटक रहा हूं
आसमान में जैसे लाली
उसी भांति में जल रहा हूं
वेग से उसके हूं मै सहमा
सिसक सिसक कर जी रहा हूं।

©राहुल श्रीवास्तव इंसान कभी ना कभी ऐसी स्थिति से गुजरता है

#Messageoftheday
#MessageOfTheDay आशा थी जिसकी मुझको
उसमे ही मै उलझ गया हूं
प्रयास निरंतर करता आया
दलदल की भांति सरक गया हूं
उठाने को अब दम मै हारा
विश्वास में तेरे जी रहा हूं
आंधी आए झकोरे आए
फिर भी पथ पे चल रहा हूं
पथिक पुराना मैंने जाना
रस्ते फिर क्यो भटक रहा हूं
आसमान में जैसे लाली
उसी भांति में जल रहा हूं
वेग से उसके हूं मै सहमा
सिसक सिसक कर जी रहा हूं।

©राहुल श्रीवास्तव इंसान कभी ना कभी ऐसी स्थिति से गुजरता है

#Messageoftheday