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arpitdwivedi6731
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Arpit Dwivedi

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Arpit Dwivedi

दम घुटते हुए मंज़र से मौत बेहतर लगे....
तड़पती नस्लों को नशे के शौक बेहतर लगे.....
ये तरीके उसे सुधारने के ग़लत जरूर थे मगर.....
मेरे दिए हुए निशान उसे हमेशा बेहतर लगे....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

हरी भरी ये धरती देखो कितनी मुझको प्यारी है....
शीतल बहती पवन ये देखो कितनी मुझको प्यारी है....!!
सोना चांदी हीरे मोती सारी दौलत रख लो तुम....
मुझको मेरी मिट्टी दे दो मिट्टी मुझको प्यारी है....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

दिन रात मेहनत से कमाऊंगा,घर चला जाऊंगा....
खेतों में वक्त बिताऊंगा,घर चला जाऊंगा...!!
और फ़क्र है मुझे की है मेरा किसानी लहज़ा....
इसी मिट्टी से जागा हु इसी मिट्टी में सो जाऊंगा....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

बादशाह के सर पे देखो ताज़ लगाना भूल गए....
अपने दुश्मन के बल का अंदाज लगाना भूल गए.....!!
परदेसी मूरत की छवि क्या इतनी तुमको प्यारी थी....
फिर क्यों पृथ्वी राणा वीर समक्ष जाबाज़ लगाना भूल गए...!!!!
याद है अंग्रेजी तन ख़ुशबू , माटी सोंधी भूल गए.....
दो दिन की महबूबा ख़ातिर, घर के नाते भूल गए....!!
देश वंश के खातिर जो फाँसी सूली पर लटके....
लानत है ऐसी आज़ादी, क्रांतिवीर को भूल गए....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

बस यही बाकी अब रास्ता था.....
सबकी निगाह में मैं उसे तलाशता था.....!!
असल तो ये बात अब तुम्हे करेगी हैरत....
कि मेरा उस दौर भी उस शक्स से वास्ता था....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

है डोर कहाँ पतंगों में.....
है खून कहाँ इन अंगों में.....!!
गले लगा, बिसर लड़ना....
कहाँ पड़ा है दंगो में....!!!!
है भार कहाँ इन कंधों में.....
बल कितना है भुजदंडों में.....!!
मुझ समक्ष अभी तू बालक है.....
आ बैठ जा मेरी जंघों में....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

किसी और कि शादी में, बारात थोड़ी मांगेंगे....
तुम न मिली कभी दिन में, तो रात थोड़ी मांगेंगे....!!
जवां हो तुम हुस्न के साथ हुनर भी है....
पर अब गैर हासिलात हो, खैरात थोड़ी मांगेंगे...!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

वो चाँद सर्दियों के वीराने से रहे....
हम उस टुकड़े पर शक़्ल दिखाने से रहे....!!
मौजूदगी की नजदीकियों से एक शर्त क्या लगी.....
आप तो अपना दीदार हमें कराने से रहे....!!!!
अर्पित द्विवेदी #शरदपूर्णिमा  #collabwithme #oneliner  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Megha Gupta
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Arpit Dwivedi

हवा दिखाने वालो को, चिराग जलाना पड़ता है....
बन्द हो किस्मत मुट्ठी में तो जान लगाना पड़ता है....!!
मरे हुए को ज़िंदा करना सब के बस की बात नही....
जिंदा वालों को फिर मरने का माहौल बनाना पड़ता है....!!!!
अर्पित द्विवेदी

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Arpit Dwivedi

भ्रमजाल की तरफ़ ले जाते है किनारे,
अक्सर दीवारें दगा दे जाती है....!!
अच्छा होता है समुंदर का बेख़ौफ़ सफर,
जान हथेली से बाहर निकल जाती है.....!!!!
पहले पहल सफर में हो, अच्छा तो फिर मौन रहो,
वीरानी रातें ही अक़्सर गहरा शोर मचा जाती है....!!
 रुकते रुकते चले गए, थे सब वो जाने वाले,
यहाँ बदन से मत डर प्यारे, रूहें साँस कँपा जाती है...!!!!
तुम्हे बताने वाले सच, भटकाते वो ज़्यादा है,
घने अंघेरे अक्सर बुद्धि की बत्ती को जला जाते है...!!
किसी नाम का पुतला जो, उसके हाथो लग सकता है,
बिना लगाए आग यहाँ वो, सबकी चिता जला जाते है...!!!!
अर्पित द्विवेदी

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