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Dr Nutan Sharma Naval
Book quotes मुक्तक बाबा तुलसी के कर कमलों ने रामायण रच डाली थी। राघव ने पाप मिटाने को लंका विध्वंस कर डाली थी। प्राण बचाने लखन लाल के हनुमत पल में बूटी लाए। भ्रात प्रेम में भरत ने आकर राज्य को ठोकर मारी थी ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक हो चिरागों की कैसे हिफाज़त यहां। कर रही है हवा भी बगावत यहां। वक्त सूरज को भी, है बुझाता रहा। वक्त को भी मिली है विरासत यहां। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक अपनी वाणी से अंतस चुभोने चले। खुद को अज्ञान के संग डुबोने चले। छोड़ मां बाप अपनों को सूनी सड़क। तट पे फिर सिंधु के पाप धोने चले। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#basant#nutannaval
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक हे प्रिये तुम ही जीवन की पतवार हो। तुम ही प्रभु का दिया मुझको उपहार हो। तुमपे ही है शुरू तुमपे ही अंत है। तुम ही सबसे महत्वपूर्ण किरदार हो। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#नूतननवल
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक मैं तुम्हें भूल जाऊँ ये संभव नहीं। गीत तुमपे न गाऊँ ये संभव नहीं। तुम ही हो प्रेरणा मेरे हर गीत की। तुमसे मैं न निभाऊँ ये संभव नहीं। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
दिनेश कुशभुवनपुरी
मुक्तक: मौन–22 मौन हो मौन ने मौन सपने बुना। मौन की बात को मौन ने ही सुना। मौन से मौन की इस मुलाकात से। मौन का हर्ष भी बढ़ गया सौ गुना॥22॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #मुक्तक_श्रृंखला #मौन #22
दिनेश कुशभुवनपुरी
मुक्तक: मौन–21 मौन ही शेर है मौन है शायरी। मौन हैं अन्तरे मौन है गीत भी। मौन है गीतिका मौन दोहे हुए। मौन हर छंद है मौन है आशिकी॥21॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #मुक्तक_श्रृंखला #मौन #21
दिनेश कुशभुवनपुरी
मुक्तक: मौन–20 मौन में मंत्र है मौन में साधना। मौन प्रेरक हुआ मौन है प्रेरणा। मौन कर्तव्य है मौन है कर्मफल। मौन मंदिर हुआ मौन है वन्दना॥20॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #मुक्तक_श्रृंखला #मौन #20
दिनेश कुशभुवनपुरी
मुक्तक: मौन–19 मौन के बाग में मौन का गुल खिला। मौन में हमसफर मौन का काफिला। मौन सी रहगुजर मौन सी मंजिलें। मौन आगोश में मौन का सिलसिला॥19॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #मुक्तक_श्रृंखला #19