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Shubham Bhardwaj

Sunita Sharma

Shubham Bhardwaj

Deepa

Deepa

Anuraag Bhardwaj

बहुत सकून था ज़िन्दगी मै
जब तक तुम नहीं मिले थे।
ऐसी आदत डाली तुमने।
अब तो हर घड़ी फोन को देखते रहते है।
इंतजार रहता है तुम्हारे मेसेज का।
तुम्हारी dp देखते रहते हैं।
जब आते हो online तुम।
एक चैन सा आ जाता है।
एक उम्मीद सी नजर आती हैं।
जैसे तुम ही आ जाते हो।
दूर होते हो मुझसे।
फिर भी करीब लगते हो।
तुम्हारे एक hye के लिए।
 इतनी उतावली हो जाती हूं।
यू लगता है तुमसे मिल जाती हूं
सब कुछ बेमानी सा लगता है।
तुम्हारे बगैर सब सपना सा लगता है।
नहीं लगता काम मे मन जब कभी।
तुम्हारी save chat पढ़ती रहती हूं।
खो जाती हूं बीते वक्त मे।
ख़यालो मे सो जाती हूं।
कभी दोस्त तो कभी इश्क़ लगते हो।
तुम मुझे सबसे करीब लगते हो।
कितने बीत गए तुमसे बात किए
अब तो यादों से गुजार कर लेती हूं।
कभी बुरा भी लगता तो 
खुद को समझा भी लेती हु।
इंसान है गलती कर लेता है।
तुम ही थे तुम ही हो तुम ही रहोगे।
मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ तुम ही रहोगे।
#अनुराज #सकूं

Brajesh Kumar Bebak

Princi Bhardwaj

दिल का दिल से तेरे कुछ हैं रिश्ता #दिल#रिश्ता#बेपनाह#सकूं #बाहें

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दिल का दिल से तेरे हैं कुछ रिश्ता,
सिर्फ सांसों पर मेरी एक हक हैं तेरा,
दर्द जब दिल में होता हैं बेपनाह,
सिर्फ एक तेरी बाहें बनती सकूं मेरा।

Write by :- Princi दिल का दिल से तेरे कुछ हैं रिश्ता
#दिल#रिश्ता#बेपनाह#सकूं
#बाहें

राजेश गुप्ता'बादल'

जर्द सने इस माहौल में सकूं पहलू में एक उसी के पाया है,
गुफ्तगू जब जब चाही मैंने उससे वो रूह में ही उतर आया है। #रूह #गुफ्तगू #सकूं #दौर_ए_गफलत #all #nojoto

ठाकुर नीलमणि

#MeraShehar

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चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया!
एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया,
आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।।
शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया।

हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया।
बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया।
निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।।
यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया??

खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को,
पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया ।
हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की ।
एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।।

बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:;
रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।।
लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था,
हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।।

क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया??
कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:;
क्या? इतना अवकाश भी न पाया।।

अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; 
दस्तक मौत का आया।।
जिस से भागे भागे फिरते थे;;
आज उसे सबसे करीब पाया।।
................................... NILMANI THAKUR #MeraShehar
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