Find the Best एक_गीत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutज़िन्दगी प्यार का गीत है, है मेरे दोनों हिंदी गीत, में अपने गीत गजलों से, मेरी मातृभूमि मंदिर है गीत, love एक्शन फिल्म,
सतीश तिवारी 'सरस'
प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने, दिन-दोपहर-रात करो तो कोई बात बने। ढूँढ़ रहा मैं जीवनसाथी किन्तु नहीं मिलता, समझ न आये वक़्त मुझे क्यों हरदम है छलता। आगे तुम निज हाथ करो तो कोई बात बने। प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।। कहे अकेलापन यह मुझसे स्वर्णिम मुझे बना, क़ोशिश मैं करता ज्यों-ज्यों त्यों होता दर्द घना। साझा तुम ज़ज़्बात करो तो कोई बात बने। प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।। माना भीतर पले वासना किन्तु प्रेम भी है, प्रेम प्राप्त सच्चा हो यदि फिर कुशलक्षेम भी है। दिल को यदि तुम मात करो तो कोई बात बने, प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।। तन्हाई है मीत हमारी बनी हुई कब से, दिल की अनबन प्रेम-प्यार से ठनी हुई कब से। मिलन की प्रस्तुत प्रात करो तो कोई बात बने, प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने।। सच्चा प्रेम न देखे प्यारे सत्य उम्र-बंधन, दो दिल मिलते अगर प्यार से होता गठबंधन। जीवन निज सौगात करो तो कोई बात बने, प्रेम-प्यार की बात करो तो कोई बात बने। ©सतीश तिवारी 'सरस' #एक_गीत
सतीश तिवारी 'सरस'
आओ यहाँ पे बात रखें,आप और हम। ज़ज़्बात दिन औ' रात रखें,आप और हम। आपस में ज़रूरी है बहुत प्यार दोस्तो, जिसका कि विरोधी दिखे संसार दोस्तो। पर मन में नहीं मात रखें,आप और हम। आओ यहाँ पे बात रखें,आप और हम।। डाले न यार फूट कोई आ के तीसरा, फोड़े न ग़ल्तियों का कहीं सिर पे ठीकरा। इतना तो एहतियात रखें,आप और हम। आओ यहाँ पे बात रखें,आप और हम।। देता रहा जो साथ हमारा है हर घड़ी, थामे रहा जो हाथ हमारा है हर घड़ी। मन में न खुरापात रखें आप और हम, आओ यहाँ पे बात रखें,आप और हम।। ©सतीश तिवारी 'सरस' #एक_गीत
सतीश तिवारी 'सरस'
एक गीत फिर मौसम बरात का आया,क्या लिख दूँ। जलबा भी मधुमास का छाया,क्या लिख दूँ।। दूल्हे बिकते तरह-तरह के,देखो तो आते घर ज्यों रुपये बह के,देखो तो। दूल्हों ने बाज़ार सजाया,क्या लिख दूँ। फिर मौसम बरात का आया,क्या लिख दूँ।। नहीं है जिनके पास नौकरी,संत बने नौकरी वाले दरुआ भी पर,कंत बने। बहुत बड़ी रुपयों की माया,क्या लिख दूँ। फिर मौसम बरात का आया,क्या लिख दूँ।। शहनाई की धुन पर नाचें सम्बन्धी दूल्हे की तारीफ़ हैं बाचें सम्बन्धी। दूल्हा दिखता ख़ुद बौराया,क्या लिख दूँ। फिर मौसम बरात का आया,क्या लिख दूँ।। बिटिया का बापू लेकर ऋण डोल रहा, हाँ जी,हाँ जी कह समधी से बोल रहा। भीतर उसको ग़म ने खाया,क्या लिख दूँ। फिर मौसम बरात का आया,क्या लिख दूँ।। ©सतीश तिवारी 'सरस' #एक_गीत
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