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Best भर्ती Shayari, Status, Quotes, Stories

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Dr. Vishal Singh Vatslya

भर्तीयन में खूब चल रो भैया रे रुपैया
पढ़ें लिखे उदास घर बैठे बहन और भैया...
दलालन कू ने शरम ना आवे रे मौला मेरे
योग्यता पर भारी पड़ रो भैया रे खूब रुपैया...
 #भर्ती  
#रुपैया 
#भैया 
#शर्म 
#दलाल 
#yourquotebaba 
#yourquotedidi

JOBBYRAJ RG

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Author Sanjay Kaushik (YouTuber)

#Struggle#dontgiveup#Success: The Finger Print of Success #कहानी

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दोस्तो संघर्ष और सफलता का चोली दामन का साथ है 
हमारे गाँव में एक लड़का रहता था "  राज" । लेकिन हंसमुख बहुत था और सभी को हंसाता रहता था । सभी यार दोस्त उसे जोकर कहते थे पर वो किसी का बुरा नही मानता था । उसका एक ही सपना था पुलिस में भर्ती होना । पर जब भी वो भर्ती होने जाता उसकी हाइट कुछ कम राह जाती । वो फिर मेहनत करता और फिर try करता । एक बार किसी ने कहा कि तेरा लास्ट चांस है पेड़ पर लटका कर । उसी दिन वो खेत पर गया और वहां एक कीकर का पेड़ था , उसके एक टहनी पर उसने लटकने की जगह बनाई ।
रोजाना सुबह, शाम और दोपहर उसने लटकना शुरू किया । आखिर वो दिन आया जब उसने अपनी हाइट ना केवल पूरी की बल्कि कुछ सेंटीमीटर ज्यादा कर ली ।
गाँव वालों को पता चला तो सब भौचके रह गए । क्योंकि अब वो पुलिस में भर्ती हो चुका था। सभी ने पूछा कि "  जोकर...........  नही नही राज कैसे किया तूने...आपने । "
हाँ दोस्तो आज जोकर की जगह राज ने और तू की जगह आप हो गया था  अब उसे सब इज्जत के साथ राज कह कर पुकारने लगा । राज  सभी को उस कीकर के पेड़ के पास लेकर गया और वँहा जिस टहने पर वो लटका करता था उस पर उसकी उंगलियों के निशान छपे हुए थे । 
या ये कहे कि उसकी ज़िद, लगन  और मेहनत के निशान छपे थे ।
Success अपने निशान जरूर छोड़ती है इन्ही को हम कहते है 
The Finger Prints of Success 
........Sanjay Kaushik #Struggle#dontgiveup#success: The Finger Print of Success

डॉ जेपीएस चौहान

#Survive

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जिन सिद्धांतों के कारण सत्ता का वनवास खत्म हुआ था आज उन सिद्धांतों से  विमुख होने के कारण कार्यकर्ताओं और प्रदेश के युवाओं में असंतोष उपज रहा है।यदि सरकार पिछली सरकार के भर्ती घोटाले की जांच नहीं कराती तो यह पार्टी को डुबाने वाला आत्मघाती कदम होगा।
सहायक प्राध्यापक भर्ती घोटाले की जांच कराएं, अतिथि विद्वान नियमितीकरण का वचन निभाएं #Survive

डॉ जेपीएस चौहान

#Judge

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गरीब फरियादी मप्र सहायक प्राध्यापक भर्ती घोटाले को लेकर माननीय न्यायालय की शरण में गए,व्यापक विसंगतियां पाकर माननीय न्यायालय ने सूची निरस्त की। अफसरशाही ने लीपापोती करके फिर अवैधानिक सूची जारी कर दी।अब फिर न्यायालय ने गलती पाकर स्टे ऑर्डर किया। क्या प्रजा हितैषी सरकार का दायित्व नही है कि घोटालेबाजों का बचाव करने की बजाय लोकहित में भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करे? क्या न्याय करने का दायित्व केवल न्यायालय का है? क्या प्रजातंत्र में चुनी हुई सरकार को स्वयं न्यायोचित निर्णय नही लेने चाहिए?😢 #Judge

Vishnu army lover 🇮🇳🇮🇳

दिल टुकड़ों में तब बिखर गया जब एक #शहीद का बाप बोला:

#साहेब ! कद एक इंच छोटा होने पर तो आप #सेना में #भर्ती नही करते 
#अब_एक_फुट छोटी लाश मैं कैसे ले लुँ ??🙏🙏🙏

#india #soldier #army #milatery
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Eron (Neha Sharma)

कुछ तो लिखती हूँ

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मैं कुछ तो लिखती हूँ
चन्द शब्दों में रंग भर्ती हूँ।
जाने कैसे लिखती हूँ।
जाने कैसे रंग भर्ती हूँ
मुझे भी नही मालूम।
बस यह मालूम है।
मैं लिखती हूँ
बस मैं लिखती हूँ -नेहा शर्मा कुछ तो लिखती हूँ

Harsh Kabaddi

#5words Real fact of भर्ती's in haryana :- हरियाणा के बालक भर्ती म रेस कम अर किलकी घने मारण जाया करै 😜😂😜😁😂

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#5Words

Real fact of भर्ती's in haryana :-

हरियाणा के बालक भर्ती म रेस कम अर किलकी 

घने मारण जाया करै 😜😂😜😁😂

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह?  वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम #News

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Story of Sanjay Sinha 
 कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह? 
वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं।
अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम
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