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Mukesh Meet
बहुत चाहा निकल जाएं, पीर की पीर का होगी, मगर निर्लज्ज आँसू , आँख के आँगन में बैठे हैं। ©Mukesh Meet #आँसू#आँखें#आँगन
@thewriterVDS
"कबीर" निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें । बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि निंदकहमेशा दूसरों की बुराइयां करने वाले लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्यूंकि ऐसे लोग अगर आपके पास रहेंगे तो आपकी बुराइयाँ आपको बताते रहेंगे और आप आसानी से अपनी गलतियां सुधार सकते हैं। इसीलिए कबीर जी ने कहा है कि निंदक लोग इंसान का स्वभाव शीतल बना देते हैं। . ©@thewriterVDS #निंदक #आँगन #कुटी #पानी #कबीर #हमेशा #बुराई #पास #लोग #DiyaSalaai
Rishi
Parul Sharma
जिस आँगन में गूँजती है बेटियों की मुस्कान बस वही है कल्पवृक्ष का स्थान ©Parul Sharma मेरा दिल है मेरी प्यारी लाडो, live you बेटा #बेटियां #मुस्कान #आँगन #गूँज #कल्पवृक्ष
Aniket Sen
अपने आँगन में फूल ना उगे तो दुसरे के बागीचे में लगा देना, महबूब साथ न दे तोे उसका हाथ किसी और को थमा देना। हिफाज़त तब भी करना तुम उस फूल की, पर धीरे धीरे उस से अपनी चाहत मिटा देना। हाल खबर उस फूल की रखना तुम सदा, और नादां समझ के भूल तुम उसकी भुला देना। बागिचे का मालिक जब उसे रोज़ तोड़ता रहे, तब उस फूल को उसकी गलती का एहसास दिला देना। जब तुम्हारी ख़ुशी देख वो फूल भी मुर्झा जाये, तब सिर्फ उसे अपनी मोहब्बत याद दिला देना। होगा तुम्हारे पास उस से भी खूबसूरत फूल एक दिन, साथ उसके मिलकर सारा जहान महका देना। जो फूल तुम्हे छोड़ गया उसके लिए क्यों रोना, आने वाले गुल के लिए जी-जान लगा देना। #फूल #आँगन #महबूब #मोहब्बत #yqdidi #yqbhaijan #ifyoulikeitthenletmeknow
CalmKazi
आज तुम्हारे आँगन में बरसात है ? तुझसे वाबस्ता मेरी ज़िंदगी इस मुफलिसी में हर बीते पहलू के महीन धागे जोड़ती है । एक अदद छतरी की दरकार है ।। #CalmKaziShorts Transliteration : Aaj tumhare aangan mein barsaat hai ? Tujhse wabasta meri zindagi Iss muflisi mein
CalmKazi
दबा सा छितरा पड़ा था वो, सुबह सिक्के जितना बड़ा था । दुपहर होते हर कोने तक पहुंचा । फैलता रहा शाम ढलते ढलते, फिर रात से पहले धूमिल हो गया । कुछ नया न सूझा था सुबह से, सोचा आँगन की धूप का ही हालचाल दे दूँ । उसी का साथ कायम है कब से ।। माफ़ी चाहूंगा, कुछ नया नहीं सूझा Click on #DhoopKeKisse for more musings on Sunlights #धूप #Sunlight #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #आँगन #Courtyard
Anupama Jha
मन का आँगन ,लीपे बैठी हूँ देहरी पर दीप जलाए बैठी हूँ। उम्मीद वाली जुगनुओं को आँखों में सजाए बैठी हूँ। उमस भरे दिवस के अवसान पर बावली हवाओं को संभाले बैठी हूँ। नेह सागर से कितने ही यादों के सीप बटोरे बैठी हूँ। आ जाओ अब कि मरु में गुलमोहर,अमलतास के रंग लिए बैठी हूँ। ©Anupama Jha मन का आँगन ,लीपे बैठी हूँ देहरी पर दीप जलाए बैठी हूँ। उम्मीद वाली जुगनुओं को आँखों में सजाए बैठी हूँ। उमस भरे दिवस के अवसान पर बावली हवाओं को संभाले बैठी हूँ।