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Shalini Nigam
हिंदुस्तान का अस्तित्व है "हिन्दी" "हिन्दी" यहां बच्चों को "घुट्टी" में पिलाई जाती है! ©Shalini Nigam #हिन्दीदिवस #Nojoto #Life #Love #poem #writer
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read moreSmvedita
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐🙏 #हिन्दीदिवस #मातृभाषा #मातृभाषादिवस #हिंदी_साहित्य #हिन्दीकविता #हिन्दी_दिवस #हिन्दी #हिंदी_कविता poetry in hindi hindi poetry poetry quotes hindi poetry on life
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 शर्मिंदगी छोड़ों हिन्दी बोलों हिन्दी है हमारे संस्कार व संस्कृति की पहचान, हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक प्यारी हिन्दी विधा स्वरचित कविता भाषा शैली हिन्दी
read moreDr. MANOJ SHARMA MANUJ
हिन्दी विश्व की सभी भाषाओं में खास है। यह केवल भाषा नहीं एक अहसास है।। ©Dr. MANOJ SHARMA MANUJ #Hindidiwas #हिन्दीदिवस #drmanuj #drmanoj
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read moreअल्पु
विविधताओं से भरे इस देश में लगी भाषाओं की फुलवारी है, इनमें हमको सबसे प्यारी हिंदी मातृभाषा हमारी है।। ©अlpu #kitaab #हिंदी #Hindi #Hindidiwas #Nojoto #हिन्दीदिवस #हिन्दी_दिवस
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read moreSita Prasad
मेरी हिन्दी सिर्फ यार कहकर, अबे ओ पुकारकर, समझ लेते हैं बस कहकर, कभी मां या मां जी पुकारकर, हां भैया, सुन बहन, जी भाभी, जी सज्जन, रिश्तों की डोरियां फिरोते, अपनापन निभा लेते हैं, अंकल और आंटी जी कहकर। न छूटा है साथ, चाची, फूफी या मासी का, ना ही खटिया पकड़े, परदादी का, बापू, पिताजी, बस खड़े मिले, राह पर उंगली पकड़े। ए जी, ओ जी, सुनती हो, से मन भरता नहीं, जायज़ है दोस्तों, कह देते हैं, चाय पिला दो अम्मा, मदद करने वालों को। एसी है भाषा मेरी, रिश्तों को जोड़ती, अनायास ही ज़ुबान पर, बोलती है हिंदी मेरी।। ##हिन्दी #हिन्दीदिवस #yqdidi #yqbaba
##हिन्दी #हिन्दीदिवस #yqdidi #yqbaba
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
विस्मृत,अचंभित था हृदय 'पुरस्कृत' जो तुमने किया तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में प्राणों को निरर्थक मान लिया बहाए अश्रु रात्रि-दिवस..... कैप्शन् में पढ़ें..... 🌹 विस्मृत,अचंभित था हृदय 'पुरस्कृत' जो तुमने किया तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में प्राणों को निरर्थक मान लिया बहाए अश्रु रात्रि-दिवस स्मरण तुम्हें आठों पहर किया वियोग अप्रतिम तुमसे मिला
विस्मृत,अचंभित था हृदय 'पुरस्कृत' जो तुमने किया तिरस्कृत हो तुम्हारे प्रेम में प्राणों को निरर्थक मान लिया बहाए अश्रु रात्रि-दिवस स्मरण तुम्हें आठों पहर किया वियोग अप्रतिम तुमसे मिला
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
पता नहीं.. वो मैंने कभी कहा भी था या नहीं या फिर मन गढ़ंत कल्पना का सिरा थाम लिया था उसने बहुत मज़बूती से इतनी ताक़त से कि उसकी सोच के शब्द..... 🌹 कैप्शन् में पढ़ें..... पता नहीं.. वो मैंने कभी कहा भी था या नहीं या फिर मन गढ़ंत कल्पना का सिरा थाम लिया था उसने बहुत मज़बूती से इतनी ताक़त से कि
पता नहीं.. वो मैंने कभी कहा भी था या नहीं या फिर मन गढ़ंत कल्पना का सिरा थाम लिया था उसने बहुत मज़बूती से इतनी ताक़त से कि
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
सवाल दर सवाल उठाते तो हो पर अहम् सवाल ये है क्या तुमने सचमुच सवाल करने का हक पा लिया है..? 🌹 अनुशीर्षक में पढ़ें..... सवाल दर सवाल उठाते तो हो पर अहम् सवाल ये है क्या तुमने सचमुच सवाल करने का हक पा लिया है..? तुम को अधिकार है कि तुम
सवाल दर सवाल उठाते तो हो पर अहम् सवाल ये है क्या तुमने सचमुच सवाल करने का हक पा लिया है..? तुम को अधिकार है कि तुम
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