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Best रुख Shayari, Status, Quotes, Stories

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Rabindra Kumar Ram

" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम #शायरी #जऱा

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" यूं तो होने का मैं भी हूं ,
यूं तो होने का तुम भी हो ,
फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये ,
तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे  ,
रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं ,
खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " 

                            --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " यूं तो होने का मैं भी हूं ,
यूं तो होने का तुम भी हो ,
फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये ,
तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे  ,
रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं ,
खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " 

                            --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" यूं तो होने का मैं भी हूं , यूं तो होने का तुम भी हो , फिर किस में किसकी वजूद तलाश की जाये , तलबगार हैं कि बात जाहिर हो तो हो कैसे , रुख ये भी हैं बात जरा जाहिर ये भी हैं , खुद में खुद से किसकी मौजूदगी तलाश की जाये . " --- रबिन्द्र राम #शायरी #जऱा

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Shubham Bhardwaj

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chand shayar Saifi

#रुख बदल रही है हवा

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Uttam Dixit

काली सुर्ख ये ज़ुल्फ़ें जैसे,रुख पे बादल छाये हों,
हो कोई इशारा ये तेरा,वो बारिश करने आये हों..!!

इन टिप-टिप गिरती बूंदों से,हम कोई जाम बना लेंगे,
तुमको देख के लगता है,हम मधुशाला में आये हों..!! 

हया का पर्दा जब छाया,और गाल तेरे जब लाल हुए हैं,
मानो सुबह का सूरज निकला,रंग फ़िज़ा में छाये हों..!!

मीठी-मीठी धुन कोई है,बहने लगी फ़ज़ाओं में,
गीत सुनाती हवा ये जैसे,नगमें तुमने गाये हों..!!

घोर तिमिर में खुद को भी मैं,कहीं पे खो के बैठा था,
यूँ रोशन हुआ सवेरा जैसे,तुमने दीये जलाये हों..!!

फ़र्क नहीं अब पड़ता मुझको,किसी के कुछ भी कहने से,
अरे प्यार किया कोई ज़ुर्म नहीं,क्यूँ इतना घबराये हो..!!

"मतवाला" बस तुमको ही सोचे,दिन हो चाहे रात घनी,
अब तो मुझको लगता जैसे,रूह पे तेरे साये हों..!! #udquotes #ज़ुल्फ़ें #रुख #बादल #yqbaba #yqdidi #yqhindi

Chetan malviya

दुख है तो सुख भी चाहिए..,

रूख है तो मुख भी चाहिए..।। #दुख #सुख #मुख #रुख #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqthoughts

Poonam Ritu Sen


खींचे मेरा मन मुझे जिधर भी, रुख तेरी ओर ही होता है
राहें जो वीरान थी कभी,आबाद सफर आज ये लगता है.. #yqdidi #आबाद #सफर #मन #रुख  #वीरान #राहें

Uttam Dixit

काली सुर्ख ये ज़ुल्फ़ें जैसे,रुख पे बादल छाये हों,
हो कोई इशारा ये तेरा,वो बारिश करने आये हों..!!

इन टिप-टिप गिरती बूंदों से,हम कोई जाम बना लेंगे,
तुमको देख के लगता है,हम मधुशाला में आये हों..!! 

हया का पर्दा जब छाया,और गाल तेरे जब लाल हुए हैं,
मानो सुबह का सूरज निकला,रंग फ़िज़ा में छाये हों..!!

मीठी-मीठी धुन कोई है,बहने लगी फ़ज़ाओं में,
गीत सुनाती हवा ये जैसे,नगमें तुमने गाये हों..!!

घोर तिमिर में खुद को भी मैं,कहीं पे खो के बैठा था,
यूँ रोशन हुआ सवेरा जैसे,तुमने दीये जलाये हों..!!

फ़र्क नहीं अब पड़ता मुझको,किसी के कुछ भी कहने से,
अरे प्यार किया कोई ज़ुर्म नहीं,क्यूँ इतना घबराये हो..!!

"मतवाला" बस तुमको ही सोचे,दिन हो चाहे रात घनी,
अब तो मुझको लगता जैसे,रूह पे तेरे साये हों..!! #udquotes #ज़ुल्फ़ें #रुख #बादल #yqbaba #yqdidi #yqhindi

Rabindra Kumar Ram

" कर कोई रुख की कोई कारोबार हो , मुझे तुमसे मुहब्बत बार - बार हो‌ , इन्तहा हो इतनी ये इन्तज़ार कभी खत्म ना हो‌ , तुझे छोड़ फिर किसी की मुहब्बत की गुंजाइश ना हो‌ ." --- रबिन्द्र राम #रुख #कारोबार #मुहब्बत

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"  कर कोई रुख की कोई कारोबार हो ,
मुझे तुमसे मुहब्बत बार - बार हो‌ , 
इन्तहा हो इतनी ये इन्तज़ार कभी खत्म ना हो‌ ,
तुझे छोड़ फिर किसी की मुहब्बत की गुंजाइश ना हो‌ ."

                      --- रबिन्द्र राम

 

                      "  कर कोई रुख की कोई कारोबार हो ,
मुझे तुमसे मुहब्बत बार - बार हो‌ , 
इन्तहा हो इतनी ये इन्तज़ार कभी खत्म ना हो‌ ,
तुझे छोड़ फिर किसी की मुहब्बत की गुंजाइश ना हो‌ ."

                      --- रबिन्द्र राम

 #रुख #कारोबार #मुहब्बत

Rabindra Kumar Ram

*** कविता *** *** दिल से *** " होश में मैं रह तो लूं , उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें , रहने दें इस खुमारी में ताउम्र , उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से , कहने को ये बात ही सिर्फ , #पनाह #रुख #सांसों #दिलमें #जायजा #तिसनगी

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*** कविता *** 
*** दिल से ***

" होश में मैं रह तो लूं ,
उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें ,
रहने दें इस खुमारी में ताउम्र ,
उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से ,
कहने को ये बात ही सिर्फ ,
अब कौन सी किसकी मुस्कान लाये दिल से ,
बिखर रही हैं सांसें दिल से ,
अब किसकी सांसों को धड़कन बनाये दिल से ,
होश में मैं रह तो लूं ,
अब भला किसकी तिसनगी उतारे दिल से किस के लिए ,
रुख हवाओं का किया हैं मैंने ,
उसकी महकती सांसों का जायजा कहीं मिल नहीं रहा दिल से ,
कहीं जो मिले सदा उसकी ,
ताउम्र के लिये दिल में पनाह दे दिल से ." 

                           --- रबिन्द्र राम
 
 *** कविता *** 
*** दिल से ***

" होश में मैं रह तो लूं ,
उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें ,
रहने दें इस खुमारी में ताउम्र ,
उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से ,
कहने को ये बात ही सिर्फ ,
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