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शब्दिता
चंदन- सी जिंदगी जिओ, भले सर्प लिपटें हो तन में । पर सुगंध को स्थिर रखो मन में, शीतलता रखो मस्तिष्क में। एक दिन आएगा जब कोई वन में , ले जाएगा तुम्हें मंदिर में। रिझेगा देखकर शीतलता पर चढ़ा, देगा ईश्वर के मस्तक में। #शीतलता
@thewriterVDS
तुम नूर हो हूर हो ऐसा लगता है तुम चांद से टूटे हुए टुकड़े का चूर हो सादगी चेहरे से झलकती है शीतलता शरीर से टपकती है क्या क्या कहूं तुम क्या हो बस इतना समझ लो चांद से ना तुम कम हो ना चांद तुमसे ज्यादा ये कमी शायद तुम्हे समझ आए चांद न आबाद है न बेदाग है पर तुम हो बस तुम ही तो हो 💞❤💞 #नूर #हूर #चांद #सादगी #शीतलता #टपकती #आबाद #बेदाग YourQuote Didi Vaibhav Dev Singh
Anil kumar maurya
💐💐#शुभ___________सुबह💐💐 *कुछ #चीजे समीप जाने पर #बगैर मांगे मिल जाती है जैसे* *#बर्फ* के पास *#शीतलता,* *#अग्नि* के पास *#गरमाहट* और *#गुलाब* के पास *#सुगंध* *फिर #ईश्वर से #मांगने की बजाये #निकटता बनाओ तो #सब कुछ #अपने आप #मिलना शुरू हो #जायेगा* 🌷 *#सुप्रभात**😘 🌹#आपका___दिन___शुभ___और__मंगलमय___हो 🌹* *#जय____मौर्य________वंश ©Anil kumar maurya #good_morning #Right #roseday
Arvind kumar singh
#शीतलता अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर। मन्त्रमुग्ध दिन - रैना तन ये,लगता हृदय किशोर।। गरम पवन से बहे पसीना,हिय से निकले आह। व्याकुल लगता अन्तर्मन भी,शीतलता की चाह।। छाँव मिले जब रुके पसीना,हृदय मगन पुरजोर। अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर।। समझ न पाता अन्तर्मन ये,लगती है क्यों ठण्ड। खुशी बिखरती शीतलता से,बहे बयार अखण्ड।। मन्द - मन्द तब हिय मुस्काता,मस्त सुहानी भोर। अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर।। शीतल लगता माँ का आँचल,सुखी रहे सन्तान। बिटप धरा पर छाया देकर,करता कार्य महान।। शीतल धरती हो जाती है,मस्त मगन वन मोर। अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर।। गरम हृदय में खुशी समाये,शीतलता का वास। नष्ट हृदय की बेचैनी हो,मिटे सकल सन्त्रास।। तन मन शीतल छाया पाता,अन्तर्मन में शोर। अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर।। शीतलता की चाह रखे यह,धरती भी भरपूर। जीव -जन्तु को आशा रहती,जीवन बचे जरूर।। यौवन निखरे शीतलता से,दिल में उठे हिलोर। अन्तर्मन की शीतलता से,मन यह भाव विभोर।। अरविन्द सिंह "वत्स" प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश ©Arvind kumar singh #Hope
RadhakrishnPriya Deepika
मनुष्य को उसके क्रोध की एक चिंगारी भी, खुद उसे ही भीतर से जलाती है। और क्रोध में बोले गए कठोर शब्दों से, वो दूसरे के ह्रदय को भी आहत करते है। इसलिए जब एक व्यक्ति क्रोध की अग्नि में जल रहा हो तो दूसरे को जल की तरह शीतल बनना चाहिए। तभी उस क्रोध का अंत हो पायेगा। ©®राधाकृष्णप्रिय Deepika #BoneFire #क्रोध #अग्नि #गुस्सा #सुविचार #सकारात्मक_विचार #सकारात्मक_सोच #धैर्य #शीतलता #जल
Satya Prakash Upadhyay
चाँद का टुकड़ा शायरो का ख़याल,प्रेयसी का भाल । पुछने को सवाल,बताने में कमाल ।। है चाँद का टुकड़ा शिव का ताज, ईद का आदाब । कृष्ण को श्राप, ज़मज़म का आब ।। है चाँद का टुकड़ा प्रेमियों का साथी,शीतलता का सारथी । मन का अधिपति,शृंगार रस का छत्रपति।। है ये चाँद का टुकड़ा वैज्ञानिकों के लिए विषय,ज्योतिषों के लिए समय। जिसके अंदर समेटे रूपों को देख होता विस्मय ।। बस,वही है ये चाँद का टुकड़ा #शायरो का #ख़याल,#प्रेयसी का #भाल । #पुछने को #सवाल,#बताने में #कमाल ।। है चाँद का टुकड़ा #शिव का #ताज, #ईद का #आदाब । #कृष्ण को #श्राप, #ज़मज़म का #आब ।।
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