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Saket Ranjan Shukla

पहचाने जा रहे हो अब.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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Unsplash पहचाने जा रहे हो अब 

और किन-किनको मेरी गलतियाँ गिनाने जा रहे हो,
कितनों की नज़र में, मुझे मुज़रिम बनाने जा रहे हों,
नकाब तेरी शराफ़त का जो उतर गया है सरेआम यूँ,
मासूम सी शक्लें न बनाओ, साफ़ पहचाने जा रहे हो.!

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©Saket Ranjan Shukla पहचाने जा रहे हो अब.!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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Saket Ranjan Shukla

🙏🏻 उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

कोहरे में ढँकी सी कंपकंपाती हुई शीत ऋतु की भोर है,
ओस की जमी सी चादर ओढ़े प्रकृति सजी चहुँ ओर है,

सुस्ताए से हैं सब पशु-पक्षी, किरणों की बाट जोह रहे हैं, 
दिनकर भी अलसाये से मद्धिम तेज से सबको मोह रहे हैं,

धनु राशि से निकल, जो भानु मकर राशि में प्रविष्ट हो गए,
उत्तरायण से हो उदित मार्तंड, अतिशुभ और विशिष्ट हो गए,

नई कृषि का आरंभ होगा, खेत खलिहान नए हो लहलहाएँगे,
खरीफ की फसल जो घर आई, उसका भी हम लुत्फ़ उठाएँगे,

न हो यदि महाकुंभ स्नान तो उसका स्मरण तो अवश्य कर लेंगे,
करके स्नान-ध्यान प्रथम पहर में, यथासँभव दान-पुण्य कर लेंगे,

तत्पश्चात् दही-चूड़ा, तिलवा-तिलकुट, घेवर, तिल की मिठाइयाँ,
और अनरसा खाकर मनाएँगे मकर संक्रांति और बाँटेंगे बधाइयाँ,

होके फिर निवृत्त हर काज से, चलिए नभ को पतंगों से सजाते हैं,
खाते पीते हर्षोल्लास से मकर संक्रांति का ये हम त्यौहार मनाते हैं।

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©Saket Ranjan Shukla 🙏🏻 उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻
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Saket Ranjan Shukla

ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला

सुकुन होती मयस्सर तो गमजदा फसाने क्यों ढूँढता भला,
दे देते जो ये लब साथ, ख़ामोशी के तराने क्यों ढूँढता भला,

रख पाता जो मशग़ूल ख़ुदको कहीं और उसके जाने के बाद,
ज़माने के साथ चलता मैं, तन्हाई से याराने क्यों ढूँढता भला,

क्यों मिटाता फिरता किसीकी याद दिल-ओ-दिमाग से बेवज़ह,
भुला जो पाता उसे, तो कोई तस्वीर, सिरहाने क्यों ढूँढता भला,

नहीं थी ख़बर, दरिया-ए-इश्क़ के मामूली थपेड़े नागवार गुजरेंगे,
दूर ही रहता मैं, लहरों के किनारे, रेत में ठिकाने क्यों ढूँढता भला,

था नासमझ मैं ही जो किसी बेगाने से उम्मीद पाल ली “साकेत",
टूटना होता तो टूट ही गया होता दिल, ये बहाने क्यों ढूँढता भला।
 
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©Saket Ranjan Shukla ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..!
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दर्द का इश्तिहार.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White दर्द का इश्तिहार 

ये नैन हमारे यूँ ही अश्क़ों को बेकार हर बार नहीं करते,
न है ऐसा कि चुभते नहीं शब्द, हमें तार-तार नहीं करते,
बटोरने को तो हम भी बटोर लाते, हमदर्द ज़माने भर से,
पर हम आपकी तरह अपने दर्द का इश्तिहार नहीं करते.!

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©Saket Ranjan Shukla दर्द का इश्तिहार.!
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Saket Ranjan Shukla

अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White अच्छा लगा

मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा,
दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा,

मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम,
ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा,

ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे,
सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा,

मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे,
अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा,

खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, 
जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा।

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©Saket Ranjan Shukla अच्छा लगा.!
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Saket Ranjan Shukla

🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻 . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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New Year 2024-25 अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 

नई उमंगों से भर कर चलो हम भी नए से हो जाते हैं,
नए सपने संजोकर, उनमें उड़ान के नए पर लगाते हैं,

करते हैं शुरुआत नए सफ़र की नए से कदम बढ़ाकर,
नए से रास्ते तलाशकर उनमें नए तरीके से खो जाते हैं,

जो बीत गई वो बात गई, मन में कड़वाहट रखना क्यों,
आपसी अनबन भूल, रिश्तों को नई यादों से सजाते हैं,

ये नया साल संग अपने, ढेरों नई-नई चुनौतियाँ लाएगा,
स्वयं को कर नवजागृत, अंतर्मन में नई उत्साह जगाते हैं,

किया परास्त मुश्किलों को, हारे भी कई दफा गत वर्ष हम,
पराजय से ले सबक नए, स्वयं को नए सिरे से आजमाते है,

प्राप्त करनी हैं अभी नई-नई ऊँचाईयाँ और नई कई मंजिलें,
नवीन स्वप्नों के किलों पर नवीन विजय पताकाएँ फहराते हैं,

जैसा बोया वैसा काटा, जैसा काटा वैसा पाया और खपाया,
अब नए स्वेद से सिंच अपनी कर्मभूमि, नई फसल उपजाते हैं,

नए-नए प्रयोग कर जीवनशैली पर अपनी, नए गुर सीखेंगे हम,
नई स्याही ले नई विचारधारा की, आओ नया इतिहास बनाते हैं,

इस नएपन में संभवतः कुछ नई घबराहटें भी हृदय को सताएंगी,
जीवन रणभूमि में बिछाते हैं नई बिसात, नई रणनीति अपनाते हैं,

शीतलहर की चादर ओढ़े, सूर्यदेव भी आज नवीन किरणें बिखेरेंगे,
तो चलो लेकर नए संकल्प लक्ष्य प्राप्ति के सहृदय नववर्ष मनाते हैं।

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©Saket Ranjan Shukla 🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻
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Saket Ranjan Shukla

दर्द का इश्तिहार.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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White दर्द का इश्तिहार 

ये नैन हमारे यूँ ही अश्क़ों को बेकार हर बार नहीं करते,
न है ऐसा कि चुभते नहीं शब्द, हमें तार-तार नहीं करते,
बटोरने को तो हम भी बटोर लाते, हमदर्द ज़माने भर से,
पर हम आपकी तरह अपने दर्द का इश्तिहार नहीं करते.!

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©Saket Ranjan Shukla दर्द का इश्तिहार.!
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Saket Ranjan Shukla

आस्था, पवित्रता एवं सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं.! #छठ #महापर्व #छठपूजा #my_pen_my_strength #स्याहीकार प्रेरणादायी कविता हिंदी

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आस्था, पवित्रता एवं सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं

जिनकी कृपा से प्रकृति की सभी छटाएँ सजती सँवरती हैं,
आभा से जिनकी माँ वसुधा, फलती-फूलती व निखरती हैं,
होता जीवनसंचार जग के कण-कण में जिनके होने मात्र से,
है जिनसे ये हरियाली चहुँ ओर एवं ऋतुएं परस्पर बदलती हैं,

जिनसे है जगजीवन चराचर, है उन्हें कर जोड़ नमन बारम्बार,
जिनसे प्रकाशमय है ब्रह्मांड सकल जिनकी महिमा अपरम्पार,
हैं जो पालनकर्ता हमारे, जीवन सृजन है सँभव जिनके होने से,
है आभारी ये जगत जिनका, करें सूर्यदेव हमारा नमन स्वीकार,

करने को धन्यवाद सप्त-रथि दिवाकर को महापर्व हम मनाते हैं,
छठी मईया की कर आराधना, दिवाकर के समक्ष शीष नवाते हैं,
पाते हैं आशीष छठी मईया का, छत्रछाया दिनकर की मिलती है,
भोग में गेहूं के ठेकुओं मौसमी फलों और गन्ने आदि भी चढ़ाते हैं,

हर ओर खुशहाली और मेलों में भी बेजोड़ का ठाठ बाट होता है,
श्रद्धालुओं से सजा, पापनाशिनी माँ गंगा का पवित्र घाट होता है,
पर्व नहीं महापर्व है ये छठ पूजा हम सनातन अनुयायियों के लिए,
अराध्य सूर्यदेव और छठी माई का हम सब पर सीधा हाथ होता है,

छठी माई के प्रसाद मात्र से भी हर दुख-दुविधा का मूलनाश होता है,
आओ बिहार तो दिखाके समझाएँ ये महापर्व क्यों इतना ख़ास होता है।

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©Saket Ranjan Shukla आस्था, पवित्रता एवं सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं.!
#छठ #महापर्व #छठपूजा #my_pen_my_strength #स्याहीकार  प्रेरणादायी कविता हिंदी

Saket Ranjan Shukla

यम द्वितीया एवं भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं.! #Bhaidooj #भाईदूज #भाईबहनकाप्यार #Hindi #स्याहीकार #my_pen_my_strength हिंदी कविता

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यम द्वितीया एवं भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं 

बड़ा अनोखा और बड़ा अनूठा सा ये त्योहार है,
बहनों की गालियों से भी झलकता उनका प्यार है,
यमराज से हमारे लिए लंबे जीवन का वर माँगती हैं,
बदले में बस हम भाइयों का स्नेह और प्यार चाहती हैं,

भाई दूज का त्योहार ये हर बार नई यादें लेकर आता है,
बहन भाई के झगड़े में भी छुपे हुए प्यार को समझाता है,
यमराज और यमुनाजी का एक किस्सा भी बड़ा विख्यात है,
बहनें करती हैं पूजा और हम भाईयों को मिलता आशीर्वाद है,

बजरी का प्रसाद देकर हम भाईयों को वज्र सा कठोर बनाती हैं,
हमारी बहनें गालियों के सहारे ही हम भाईयों की उम्र बढ़ाती हैं।

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©Saket Ranjan Shukla यम द्वितीया एवं भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं.!
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Saket Ranjan Shukla

लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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White लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 

लौटें हैं राम अयोध्या, दीपोत्सव सम्पूर्ण भारतवर्ष मनाएगा,
भू सजेगी रंगोलियों से, आकाशदीपों से गगन जगमगाएगा,
अग्निक्रीड़ा से कर निशा गुंजित, जग ये हर्ष में डूबा जाएगा,
बाँट सोहन पापड़ी व मिष्ठान, संसार हर बैर से मुक्ति पाएगा,

जागेगी रजनी भी, तम पर दीपकों की आभा विजय पाएगी,
नकारात्मक कोलाहल को अग्निक्रीड़ाओं की ध्वनि हराएगी,
धान के लावे और शक्कर के सांचे से कड़वाहट मिट जाएगी,
भर उन्हें घरौंदे में हर बहन, माँ लक्ष्मी को निमंत्रण भिजवाएगी,

सियाराम व लखन लौटे अवध एवं धरा पर माँ लक्ष्मी पधारी हैं, 
समृद्धिदात्री, हरिवल्लभी, सिंधुसुता माँ पद्मालया अति न्यारी हैं,
जगपालक श्रीहरि के जग संचालन में माँ भार्गवी ही सहकारी हैं,
निर्धनों को समृद्धि व समृद्धों को संतुष्टि देती माँ सर्वहितकारी हैं,

तो आओ दीपों के इस पर्व दीपावली को कुछ इस तरह मनाते हैं,
कर प्रज्ज्वलित दीपक घर-आँगन में, अंतर्मन के तम को डराते हैं,
करके पूजा-अर्चना माँ रमा, धनेश और विनायक की पूर्णश्रद्धा से,
और लगाकर जयकारा श्री राम का दुःख और दारिद्र्य दूर भगाते हैं।

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©Saket Ranjan Shukla लक्ष्मी पूजन एवं दीपों के पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.!
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