"मैं तेरे ज़िस्म को अपने इरादों की ख़बर लगने दूँ अभी होश में हूँ, थोड़ा खुमार और चढ़ने दूँ और पूरे दम से तू आँखों को अपनी मुझ पर ही रखना जिस्से मेरी हरकतों की उँगलियाँ तुझे इन आँखों से पढ़ने दूँ"