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Stories related to deep poetry in urdu

Rukaya Nabi

deep poetry in urdu

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لگی ٹھوکر ہوا یوں
سمجھ آیا گری کیوں
 اےخیرخواہ معیوب ہوں
انسان بن کے ہی رہوں

©Rukaya Nabi  deep poetry in urdu

amit sharma

#Thinking deep poetry in urdu Extraterrestrial life

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White https://app.royalspin.fun/invite/user/b99cd3b7

©amit sharma #Thinking  deep poetry in urdu Extraterrestrial life

Jashvant

Deep poetry in urdu

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White कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं
आप की रग़बत-ओ-रज़ा हूँ मैं

मैं ने जब साज़ छेड़ना चाहा
ख़ामुशी चीख़ उठी सदा हूँ मैं

हश्र की सुब्ह तक तो जागूँगा
रात का आख़िरी दिया हूँ मैं

आप ने मुझ को ख़ूब पहचाना
वाक़ई सख़्त बेवफ़ा हूँ मैं

मैं ने समझा था मैं मोहब्बत हूँ
मैं ने समझा था मुद्दआ' हूँ मैं

काश मुझ को कोई बताए 'अदम'
किस परी-वश की बद-दुआ हूँ मैं

©Jashvant Deep poetry in urdu

Jashvant

#GoodMorning#Deep poetry in urduMehboob

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White हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
जो मोजज़ा हुआ वो बहुत ख़ूब हो गया

इश्क़ एक सीधी-सादी सी मंतिक़ की बात है
रग़बत मुझे हुई तो वो मर्ग़ूब हो गया

दीवानगी बग़ैर हयात इतनी तल्ख़ थी
जो शख़्स भी ज़हीन था मज्ज़ूब हो गया

मुजरिम था जो वो अपनी ज़ेहानत से बच गया
जिस से ख़ता न की थी वो मस्लूब हो गया

वो ख़त जो उस के हाथ से पुर्ज़े हुआ 'अदम'
दुनिया का सब से क़ीमती मक्तूब हो गया

©Jashvant #GoodMorning#Deep poetry in urdu#Mehboob

Sameer Shaikh

#sad_quotes deep poetry in urdu

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White single peace of paper can no deside my future

©Sameer Shaikh #sad_quotes  deep poetry in urdu

Jashvant

deep poetry in urduTez

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White मंज़िल पे पहुँचने का मुझे शौक़ हुआ तेज़
रस्ता मिला दुश्वार तो मैं और चला तेज़

हाथों को डुबो आए हो तुम किस के लहू में
पहले तो कभी इतना न था रंग-ए-हिना तेज़

मुझ को ये नदामत है कि मैं सख़्त-गुलू था
तुझ से ये शिकायत है कि ख़ंजर न किया तेज़

चल मैं तुझे रफ़्तार का अंदाज़ सिखा दूँ
हम-राह मिरे सुस्त-क़दम मुझ से जुदा तेज़

अफ़्सुर्दगी-ए-गुल पे भरीं किस ने ये आहें
चलती है सर-ए-सहन-ए-चमन आज हवा तेज़

अब मुझ को नज़र फेर के इक जाम दे साक़ी
फिर कौन सँभालेगा अगर नश्शा हुआ तेज़

इंसान के हर ग़म पे 'सबा' चोट लगी है
शीशे के चटख़ने की भी थी कितनी सदा तेज़

©Jashvant  deep poetry in urdu#Tez

Ritu Nisha

#love_shayari deep poetry in urdu

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White  मेरा तुझे चाहना काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी। 

मेरा तुझे बुलाना काफ़ी था, 
तेरे आने की ज़रूरत न थी।

तू जिसके साथ था काफ़ी था, 
तेरा मेरा हो जाने की ज़रूरत न थी।

जितना चला तालुक़ काफ़ी था, 
अब और निभाने की ज़रूरत न थी।

जो कहा जो सुना सब काफ़ी था, 
बातों में बात उलझाने की ज़रूरत न थी।

काफ़ी था वो प्यार वो वक़्त काफ़ी था, 
सदा के लिए पाने की ज़रूरत न थी।

तेरा एक दफ़ा कह देना काफ़ी था, 
आगे कुछ समझाने की ज़रूरत न थी।

जो दिया बस वही सब काफ़ी था, 
कोई वादा क़सम उठाने की ज़रूरत न थी।

नेमत निशा के सब्र ओ शुक़्र काफ़ी था, 
किसीके आगे हाथ फैलाने की ज़रूरत न थी।

©Ritu Nisha #love_shayari   deep poetry in urdu

Jashvant

#leafbook deep poetry in urdu

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Unsplash मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला

मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक
दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला

बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं
वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला

उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर
मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला

एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा-ए-मातम नहीं मिला

©Jashvant #leafbook  deep poetry in urdu

Rohit Natkar

deep poetry in urdu

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रॉयल शेतकरी👩‍🌾

©Rohit Natkar  deep poetry in urdu

sumit shakya

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