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कबसे घुटा बैठा हूँ कहीं तो फूटने दो, डर की चादर मे

कबसे घुटा बैठा हूँ कहीं तो फूटने दो,
डर की चादर में सच्चाई टटोलने दो,
सिर्फ दरकने भर से बात नहीं बनने वाली,
तेज़ी है बहाव में अब बाँधो को टूटने दो..
कबसे घुटा बैठा हूँ कहीं तो फूटने दो,
डर की चादर में सच्चाई टटोलने दो,
सिर्फ दरकने भर से बात नहीं बनने वाली,
तेज़ी है बहाव में अब बाँधो को टूटने दो..