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न कोई रंग है इसका न ये पानी है , समझ नही आता ये दर

न कोई रंग है इसका न ये पानी है ,
समझ नही आता ये दर्द कितना खानदानी है ,
बात गर दोनों की होती तो जायज था ,
बात सिर्फ मेरी है मुसलसल बेइमानी है
न कोई रंग है इसका न ये पानी है ,
समझ नही आता ये दर्द कितना खानदानी है ,
बात गर दोनों की होती तो जायज था ,
बात सिर्फ मेरी है मुसलसल बेइमानी है