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अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने मेरे कमरे से तिरा

अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने 
मेरे कमरे से तिरा साया न गया  अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने 
मेरे कमरे से तिरा साया न गया 
'धऱम'
अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने 
मेरे कमरे से तिरा साया न गया  अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने 
मेरे कमरे से तिरा साया न गया 
'धऱम'

अपने हर चराग़ को बुझाया मैं ने मेरे कमरे से तिरा साया न गया 'धऱम' #Poetry