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जो दर्द ना होता तो ख़ुशी की क़द्र ना होती जो ख्वाब

 जो दर्द ना होता तो ख़ुशी की क़द्र ना होती
जो ख्वाब ना होते हकीकत की ताबीर ना होती

ये उतार चढ़ाव ना होते तो ज़िन्दगी नीरस होती
जो रात ना होती सुबह की ताज़गी भी ना होती
 जो दर्द ना होता तो ख़ुशी की क़द्र ना होती
जो ख्वाब ना होते हकीकत की ताबीर ना होती

ये उतार चढ़ाव ना होते तो ज़िन्दगी नीरस होती
जो रात ना होती सुबह की ताज़गी भी ना होती

जो दर्द ना होता तो ख़ुशी की क़द्र ना होती जो ख्वाब ना होते हकीकत की ताबीर ना होती ये उतार चढ़ाव ना होते तो ज़िन्दगी नीरस होती जो रात ना होती सुबह की ताज़गी भी ना होती #Poetry