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मुक़द्दर भी है मुट्ठी में है वो पल पल ईलाही का, कभ

मुक़द्दर भी है मुट्ठी में 
है वो पल पल ईलाही का,
कभी खुशियां कभी आंसू 
कभी सजदा तबाही का।
मुक़द्दर भी है मुट्ठी में 
है वो पल पल ईलाही का,
कभी खुशियां कभी आंसू 
कभी सजदा तबाही का।