मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई,ज़ुबान सब समझते है ज़ज़्बात की ... ये लफ्ज़ उसने कहे थे एक दफा मेरे सामने.... बड़ी शिद्दत से उसके अल्फ़ाज़ों को सुनती थी मैं शायद ...लगता है कुछ रह गया इसलिए अब तक उसे भुला ना पाई!