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Story of Sanjay Sinha अपने प्यार की कहानी सुनाते

 Story of Sanjay Sinha 
 अपने प्यार की कहानी सुनाते हुए मैं कई बार लोगों को ये बताता हूं कि जब मेरी शादी नहीं हुई थी, तब मैं अपनी होने वाली पत्नी के इंतज़ार में दिल्ली के आईटीओ चौराहे पर घंटों खड़ा रहा था। मेरी होने वाली पत्नी ने मुझसे मिलने के लिए जो समय दिया था, उस समय का उसने पालन नहीं किया था। उसने इस बात की परवाह नहीं की कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा है। 
खैर, वो आई थी। काफी इंतज़ार के बाद आई थी।
मेरी होने वाली पत्नी जब पहली बार मुझसे मिलने आई थी, तब उसने समय का पालन नहीं किया था। पहली बार मुझे लगा था कि उसे सिर्फ आज आने में देर हो गई, पर उसके बाद भी वो कभी समय पर नहीं आई। धीरे-धीरे मुझे आदत पड़ गई। हालांकि उसकी इस आदत का सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा हमें अमेरिका में तब भुगतना पड़ा था, जब एक बार उसके दांत में दर्द हुआ था। 
हमने डॉक्टर से मिलने का समय मांगा था, डॉक्टर ने हमें सुबह का वक्त दिया था।
 उस दिन हमारे शहर में खूब बर्फ गिर रही थी। हम बहुत मुश्किल से तैयार हो कर घर से निकले। हम कुछ देर से डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने मेरी पत्नी को उस दिन देखने से मना कर दिया। उसने कहा कि आप तय समय पर नहीं आई हैं, अब दूसरे मरीज़ को देखने का समय हो गया है। मेरी पत्नी को बहुत हैरानी हुई थी। मैंने डॉक्टर से कहा था कि आप देख तो रहे हैं कि बाहर कितनी बर्फ गिर रही है। ऐसे में गाड़ी चलाने में मुश्किल आ रही थी और इसीलिए देर हुई। 
डॉक्टर ने बहुत संयत होकर कहा था कि बर्फ तो मेरे लिए भी गिर रही थी। पर मैं तो समय पर आया था।हमें थोड़ी शर्मिंदगी तो हुई थी, पर पहली बार लगा था कि समय की क्या कीमत होती है। दो दिन पहले मेरे बेटे को आईआईटी के हॉस्टल से घर आना था और घर से कुछ सामान लेकर उसे दुबारा हॉस्टल लौटना था। उसने मां के साथ एक समय तय किया था कि इतने बज़े मैं घर आऊंगा, आपसे मिलूंगा, फिर मुझे कॉलेज लौटना होगा। मां-बेटे की इस मुलाकात के समय के बारे में मुझे पता था। 
मेरी पत्नी ने पता नहीं कैसे समय का हिसाब लगाया और उसने तय किया कि वो बाज़ार से कुछ सामान लेकर समय पर घर लौट आएगी। मां-बेटे के बीच मुलाकात का वक्त पांच बजे शाम का तय हुआ था। पर दिल्ली का ट्रैफिक भला किस समय का पालन करता है? मेरी पत्नी को घर पहुंचने में आधे घंटे की देर हो गई। मैं दफ्तर में था। ठीक पांच बजे बेटे का फोन आया कि पापा मम्मी घर पर नहीं है। मैंने कहा कि फोन कर लो। उसने कहा कि फोन नहीं उठा रही है। मैं समझ गया था कि पत्नी कहीं चली गई होगी और यही सोच कर गई होगी कि वो दस मिनट में लौट आएगी और लौट नहीं पाई। रही बात फोन की तो महिलाएं फोन अपने पर्स में रखती हैं और बाहर कई बार फोन की घंटी सुनाई नहीं देती। 
 Story of Sanjay Sinha 
 अपने प्यार की कहानी सुनाते हुए मैं कई बार लोगों को ये बताता हूं कि जब मेरी शादी नहीं हुई थी, तब मैं अपनी होने वाली पत्नी के इंतज़ार में दिल्ली के आईटीओ चौराहे पर घंटों खड़ा रहा था। मेरी होने वाली पत्नी ने मुझसे मिलने के लिए जो समय दिया था, उस समय का उसने पालन नहीं किया था। उसने इस बात की परवाह नहीं की कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा है। 
खैर, वो आई थी। काफी इंतज़ार के बाद आई थी।
मेरी होने वाली पत्नी जब पहली बार मुझसे मिलने आई थी, तब उसने समय का पालन नहीं किया था। पहली बार मुझे लगा था कि उसे सिर्फ आज आने में देर हो गई, पर उसके बाद भी वो कभी समय पर नहीं आई। धीरे-धीरे मुझे आदत पड़ गई। हालांकि उसकी इस आदत का सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा हमें अमेरिका में तब भुगतना पड़ा था, जब एक बार उसके दांत में दर्द हुआ था। 
हमने डॉक्टर से मिलने का समय मांगा था, डॉक्टर ने हमें सुबह का वक्त दिया था।
 उस दिन हमारे शहर में खूब बर्फ गिर रही थी। हम बहुत मुश्किल से तैयार हो कर घर से निकले। हम कुछ देर से डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने मेरी पत्नी को उस दिन देखने से मना कर दिया। उसने कहा कि आप तय समय पर नहीं आई हैं, अब दूसरे मरीज़ को देखने का समय हो गया है। मेरी पत्नी को बहुत हैरानी हुई थी। मैंने डॉक्टर से कहा था कि आप देख तो रहे हैं कि बाहर कितनी बर्फ गिर रही है। ऐसे में गाड़ी चलाने में मुश्किल आ रही थी और इसीलिए देर हुई। 
डॉक्टर ने बहुत संयत होकर कहा था कि बर्फ तो मेरे लिए भी गिर रही थी। पर मैं तो समय पर आया था।हमें थोड़ी शर्मिंदगी तो हुई थी, पर पहली बार लगा था कि समय की क्या कीमत होती है। दो दिन पहले मेरे बेटे को आईआईटी के हॉस्टल से घर आना था और घर से कुछ सामान लेकर उसे दुबारा हॉस्टल लौटना था। उसने मां के साथ एक समय तय किया था कि इतने बज़े मैं घर आऊंगा, आपसे मिलूंगा, फिर मुझे कॉलेज लौटना होगा। मां-बेटे की इस मुलाकात के समय के बारे में मुझे पता था। 
मेरी पत्नी ने पता नहीं कैसे समय का हिसाब लगाया और उसने तय किया कि वो बाज़ार से कुछ सामान लेकर समय पर घर लौट आएगी। मां-बेटे के बीच मुलाकात का वक्त पांच बजे शाम का तय हुआ था। पर दिल्ली का ट्रैफिक भला किस समय का पालन करता है? मेरी पत्नी को घर पहुंचने में आधे घंटे की देर हो गई। मैं दफ्तर में था। ठीक पांच बजे बेटे का फोन आया कि पापा मम्मी घर पर नहीं है। मैंने कहा कि फोन कर लो। उसने कहा कि फोन नहीं उठा रही है। मैं समझ गया था कि पत्नी कहीं चली गई होगी और यही सोच कर गई होगी कि वो दस मिनट में लौट आएगी और लौट नहीं पाई। रही बात फोन की तो महिलाएं फोन अपने पर्स में रखती हैं और बाहर कई बार फोन की घंटी सुनाई नहीं देती। 
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Mukesh Poonia

Silver Star
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Story of Sanjay Sinha अपने प्यार की कहानी सुनाते हुए मैं कई बार लोगों को ये बताता हूं कि जब मेरी शादी नहीं हुई थी, तब मैं अपनी होने वाली पत्नी के इंतज़ार में दिल्ली के आईटीओ चौराहे पर घंटों खड़ा रहा था। मेरी होने वाली पत्नी ने मुझसे मिलने के लिए जो समय दिया था, उस समय का उसने पालन नहीं किया था। उसने इस बात की परवाह नहीं की कि कोई उसका इंतज़ार कर रहा है।  खैर, वो आई थी। काफी इंतज़ार के बाद आई थी। मेरी होने वाली पत्नी जब पहली बार मुझसे मिलने आई थी, तब उसने समय का पालन नहीं किया था। पहली बार मुझे लगा था कि उसे सिर्फ आज आने में देर हो गई, पर उसके बाद भी वो कभी समय पर नहीं आई। धीरे-धीरे मुझे आदत पड़ गई। हालांकि उसकी इस आदत का सबसे बड़ा ख़ामियाज़ा हमें अमेरिका में तब भुगतना पड़ा था, जब एक बार उसके दांत में दर्द हुआ था।  हमने डॉक्टर से मिलने का समय मांगा था, डॉक्टर ने हमें सुबह का वक्त दिया था।  उस दिन हमारे शहर में खूब बर्फ गिर रही थी। हम बहुत मुश्किल से तैयार हो कर घर से निकले। हम कुछ देर से डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने मेरी पत्नी को उस दिन देखने से मना कर दिया। उसने कहा कि आप तय समय पर नहीं आई हैं, अब दूसरे मरीज़ को देखने का समय हो गया है। मेरी पत्नी को बहुत हैरानी हुई थी। मैंने डॉक्टर से कहा था कि आप देख तो रहे हैं कि बाहर कितनी बर्फ गिर रही है। ऐसे में गाड़ी चलाने में मुश्किल आ रही थी और इसीलिए देर हुई।  डॉक्टर ने बहुत संयत होकर कहा था कि बर्फ तो मेरे लिए भी गिर रही थी। पर मैं तो समय पर आया था।हमें थोड़ी शर्मिंदगी तो हुई थी, पर पहली बार लगा था कि समय की क्या कीमत होती है। दो दिन पहले मेरे बेटे को आईआईटी के हॉस्टल से घर आना था और घर से कुछ सामान लेकर उसे दुबारा हॉस्टल लौटना था। उसने मां के साथ एक समय तय किया था कि इतने बज़े मैं घर आऊंगा, आपसे मिलूंगा, फिर मुझे कॉलेज लौटना होगा। मां-बेटे की इस मुलाकात के समय के बारे में मुझे पता था।  मेरी पत्नी ने पता नहीं कैसे समय का हिसाब लगाया और उसने तय किया कि वो बाज़ार से कुछ सामान लेकर समय पर घर लौट आएगी। मां-बेटे के बीच मुलाकात का वक्त पांच बजे शाम का तय हुआ था। पर दिल्ली का ट्रैफिक भला किस समय का पालन करता है? मेरी पत्नी को घर पहुंचने में आधे घंटे की देर हो गई। मैं दफ्तर में था। ठीक पांच बजे बेटे का फोन आया कि पापा मम्मी घर पर नहीं है। मैंने कहा कि फोन कर लो। उसने कहा कि फोन नहीं उठा रही है। मैं समझ गया था कि पत्नी कहीं चली गई होगी और यही सोच कर गई होगी कि वो दस मिनट में लौट आएगी और लौट नहीं पाई। रही बात फोन की तो महिलाएं फोन अपने पर्स में रखती हैं और बाहर कई बार फोन की घंटी सुनाई नहीं देती।  #News