वक़्त के बहुत पाबंद थे वो, मस्जिद न दिखी तो गुरूद्वारे में भी नमाज़े अदा कर लिया करते थे। वक़्त के बहुत पाबंद थे वो, मस्जिद न दिखी तो गुरूद्वारे में भी नमाज़े अदा कर लिया करते थे। -अफ़साना