तुम्हारे इश्क में ज़ख्मी मैं ही काफी ज़माने को, कि मुझपर ही सितम अब हो यूँ कत्ले-आम मत करना । कि आना मुझसे मिलने तुम मगर फिर शाम मत करना ।। सुमित उपाध्याय