मेरे डूबे हुए शब्दों को यूं अफसोस मत समझो, अगर खामोश हूं तो जां मेरी बेहोश मत समझो। के सब जब झूमते थे प्रेम रस प्यालों में भर के तब, पहर चारो पड़ा स्याही में क्यूं मदहोश, मत समझो।। -देव