कुछ अजनबी होते लम्हों से, यादों के हिसाब लगाता दिल । न चुप होता न खुद सोता, बस सारी रात जगाता दिल ।। -सुमित उपाध्याय कुछ अजनबी होते लम्हों से, यादों के हिसाब लगाता दिल । न चुप होता न खुद सोता, बस सारी रात जगाता दिल ।। सुमित उपाध्याय