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कल का था बरसो से इंतज़ार , न-जाने कब से अपने शब्दो

कल  का था बरसो से इंतज़ार ,
न-जाने कब से अपने शब्दों के अज़ान के लिए मैने कितने रोज़े किये है।
#रोज़ा_ईद 
                                      #विकास
कल  का था बरसो से इंतज़ार ,
न-जाने कब से अपने शब्दों के अज़ान के लिए मैने कितने रोज़े किये है।
#रोज़ा_ईद 
                                      #विकास