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उस रोज जब उसने मझसे पूछा की अब क्या हूँ मैं तुम्हा

 उस रोज जब उसने मझसे पूछा की अब क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए?
जब मेरी ख़ामोशी 
मेरे दिल की धड़कनो से बात करती है
जब मेरी खुली आँखे 
तुम्हारे धुंधलाते चेहरे का दीदार करती है
जब मेरा ये बदन
करवटें बदल बदल कर बैचैन करता है
जब मेरी जुबान
 उस रोज जब उसने मझसे पूछा की अब क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए?
जब मेरी ख़ामोशी 
मेरे दिल की धड़कनो से बात करती है
जब मेरी खुली आँखे 
तुम्हारे धुंधलाते चेहरे का दीदार करती है
जब मेरा ये बदन
करवटें बदल बदल कर बैचैन करता है
जब मेरी जुबान
vinaykumar3349

Vinay Kumar

New Creator

उस रोज जब उसने मझसे पूछा की अब क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए? जब मेरी ख़ामोशी मेरे दिल की धड़कनो से बात करती है जब मेरी खुली आँखे तुम्हारे धुंधलाते चेहरे का दीदार करती है जब मेरा ये बदन करवटें बदल बदल कर बैचैन करता है जब मेरी जुबान #Poetry