उस रोज जब उसने मझसे पूछा की अब क्या हूँ मैं तुम्हारे लिए? जब मेरी ख़ामोशी मेरे दिल की धड़कनो से बात करती है जब मेरी खुली आँखे तुम्हारे धुंधलाते चेहरे का दीदार करती है जब मेरा ये बदन करवटें बदल बदल कर बैचैन करता है जब मेरी जुबान