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थक चुका मैं अवारगी से, अब तू अपनी बाहों में लपेट ल

थक चुका मैं अवारगी से, अब तू अपनी बाहों में लपेट ले।
और कही ना मुझे जाने दे, बस  अपनी आहो में समेट ले।।
थक चुका मैं अवारगी से, अब तू अपनी बाहों में लपेट ले।
और कही ना मुझे जाने दे, बस  अपनी आहो में समेट ले।।