हाँ चाहती हूँ तुमको खुद से भी ज़्यादा,माना मगर कैसे अपने बाबा के फैसलों के ख़िलाफ़ मैं जाऊँ? सारा बचपन गुजा़रा है गोद में जिसकी आज उसको छोड़ कैसे तेरे पास मैं आऊँ ? यूँ तो छोड़ना तुझको भी आसान न था मेरे लिए पर उनके दिल को कैसे ठेस मैं पहुँचाऊं? रातें तेरे बिन गुज़रती नहीं माना मेरी पर सारा दिन उनको देखे बिना भी मैं रह कहाँ पाऊँ? पहला प्यार तो वही थे न मेरा उनसे ऊपर जा कर तुझे फिर कैसे अपना बनाऊं? तू ही बता न मेरे यार जिसका बेटा भी मैं और बेटी भी मैं कैसे उससे ऊपर होकर तुझको चाहुँ? कैसे उस बाबुल को मैं छोड़ आऊँ? And every second girl in a count, goes through these questions, some plights that keep her wandering always to choose from. #nojoto