क्यों लिखते हो शाम-ओ-सुबह पूछा दोपहर ने मुस्कुरा कर, मै हँसा थोड़ा और हँसा, नजरें चुराकर, अरे पगलू, नजर न लग जाये कही इसलिये लिखता तुझको ज़माने से छुपाकर|