तेरी चाहत में कुछ इस कदर हो गए दीवाने। कुछ अपनो से ही हो गए हम बेगाने।। कभी जो शहर अपना हुआ करता था,, आज वही घूमते है हम बन कर अनजाने।। निसार मलिक