यूँ तो जमाने मे लोग हज़ार बैठे हैं, झूठी चाहत का लगा के बाज़ार बैठे हैं। खोकर भरोसा सच्ची मोहब्बत से भी, हमारे जैसे न जाने कितने लाचार बैठे हैं।।