मैं तुम्हें समझ ना लूँ
इसलिए भी नासमझ हूँ
میں تمہیں سمجھ نہ لوں
اسلئے بھی ناسمجھ ہوں
~ a #Poetry
मैं तुम्हें समझ ना लूँ
इसलिए भी नासमझ हूँ
میں تمہیں سمجھ نہ لوں
اسلئے بھی ناسمجھ ہوں
~ a #Poetry
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Altamash
इतनी वीरानी है हर सू
तन्हाई भी मुझसे घबराए है
اتنی ویرانی ہے ہر سو
تنہایی بھی مجھسے گھبرایے ہے #Poetry
इतनी वीरानी है हर सू
तन्हाई भी मुझसे घबराए है
اتنی ویرانی ہے ہر سو
تنہایی بھی مجھسے گھبرایے ہے #Poetry
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Altamash
#Love#Nojoto
ग़ज़ल / غزل
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ईश्क़ करने के मौसम निकले
पर ना ये पेंच ओ ख़म निकले
#Poetry
#Love#Nojoto
ग़ज़ल / غزل
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ईश्क़ करने के मौसम निकले
पर ना ये पेंच ओ ख़म निकले
#Poetry
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Altamash
हैं किस हाल में परवाह कौन करे
मौत ही जीते हैं ज़िन्दगी तबाह कौन करे
हुए हैं अब जो हम शागिर्द ए इबलीस
नेकी करने का गुनाह कौन करे
शायद ख़बर थी उन्हें मर ही जाऊँगा
राह ए ईश्क़ के खतरों से आगाह कौन करे #Poetry
हैं किस हाल में परवाह कौन करे
मौत ही जीते हैं ज़िन्दगी तबाह कौन करे
हुए हैं अब जो हम शागिर्द ए इबलीस
नेकी करने का गुनाह कौन करे
शायद ख़बर थी उन्हें मर ही जाऊँगा
राह ए ईश्क़ के खतरों से आगाह कौन करे #Poetry
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Altamash
धड़कने बढ़ जाती हैं तुम्हें देखते ही
हर्ज़ क्या है कहने में मुझे ईश्क़ है !
دھڑکنے بڑھ جاتی ہیں تمہے دیکھتے ہی
حرج کیا ہے کہنے مے مجھے عشق ہے !
~a #Poetry
धड़कने बढ़ जाती हैं तुम्हें देखते ही
हर्ज़ क्या है कहने में मुझे ईश्क़ है !
دھڑکنے بڑھ جاتی ہیں تمہے دیکھتے ہی
حرج کیا ہے کہنے مے مجھے عشق ہے !
~a #Poetry
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Altamash
#dpf
मिजाज़
बड़ी रूखे से मिजाज़ रक्खे हो !
दिल में कोई राज़ रक्खे हो !!
एक ग़म जो कर दे सेहतयाब #Poetry
#dpf
मिजाज़
बड़ी रूखे से मिजाज़ रक्खे हो !
दिल में कोई राज़ रक्खे हो !!
एक ग़म जो कर दे सेहतयाब #Poetry
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Altamash
#dpf#sher
तशवीश
----------------
कोई भी रिश्ता हमसे निभाया ना गया
खोया उसे भी जिसे कभी पाया ना गया ।
रहा हमनशीं अपने जख्मों का उम्र भर #Poetry
#dpf#sher
तशवीश
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कोई भी रिश्ता हमसे निभाया ना गया
खोया उसे भी जिसे कभी पाया ना गया ।
रहा हमनशीं अपने जख्मों का उम्र भर #Poetry
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Altamash
#dpf
ज़िन्दगी आज
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ये क्या बन गया हूँ मैं
ऐ ज़िन्दगी
कोई भी फ़ितरत मेरी
इंसानों जैसी अब नहीं #Poetry
#dpf
ज़िन्दगी आज
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ये क्या बन गया हूँ मैं
ऐ ज़िन्दगी
कोई भी फ़ितरत मेरी
इंसानों जैसी अब नहीं #Poetry
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Altamash
#dpf#Poetry
प्यार
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(past )
कैसा सुलझा, समझदार और मासूम था मैं..
पर, आने से उसके
उलझता जा रहा था
#dpf#Poetry
प्यार
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(past )
कैसा सुलझा, समझदार और मासूम था मैं..
पर, आने से उसके
उलझता जा रहा था
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Altamash
मुक़ाम ए क़ैद
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ज़िन्दगी किस मुक़ाम पे लाई है
जिधर देखिये हर सू तन्हाई है
इक दर्जा इश्क़ है रूह ए रवां में ख़ूब
बाद जाने के तेरे फिर वही रुस्वाई है #Poetry
मुक़ाम ए क़ैद
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ज़िन्दगी किस मुक़ाम पे लाई है
जिधर देखिये हर सू तन्हाई है
इक दर्जा इश्क़ है रूह ए रवां में ख़ूब
बाद जाने के तेरे फिर वही रुस्वाई है #Poetry