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Vishal Chavan

तंबू...

महल जरी नाही भेटला, तंबू ठोकता येईल..
तंबू जरी बुटका, त्यात उत्तुंग मिलन होईल...

प्रणयाचा शृंगार साज तो, तंबूलाही धन्य करेल..
हक्काचा तंबूच बरा, दुसर्‍याच्या महालात श्वास गुदमरेल...

Vishal/Aadinaath 
29-06-21

©Vishal Chavan #tent #तंबू

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 1 - मा फलेषु कदाचन 'आप यहाँ!' नगर का प्रतिष्ठित डाक्टर - वह डाक्टर जिसे स्नान-भोजन को ठिकाने से समय नहीं मिलता, इस प्रकार अपनी जमी-जमाई चिकीत्सा की दुकान छोड़ कर सुदूर देहात में एक नन्हा-सा तंबू डालकर आ टिकेगा, इसकी कोई कैसे सम्भावना कर सकता है। 'मैं चिकित्सक हूँ - अत: इस समय मुझे यहाँ होना ही चाहिये था।' डाक्टर अवधेशजी चटपट उठ खड़े हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर आगन्तुक को नमस्कार किया।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
1 - मा फलेषु कदाचन

'आप यहाँ!' नगर का प्रतिष्ठित डाक्टर - वह डाक्टर जिसे स्नान-भोजन को ठिकाने से समय नहीं मिलता, इस प्रकार अपनी जमी-जमाई चिकीत्सा की दुकान छोड़ कर सुदूर देहात में एक नन्हा-सा तंबू डालकर आ टिकेगा, इसकी कोई कैसे सम्भावना कर सकता है।

'मैं चिकित्सक हूँ - अत: इस समय मुझे यहाँ होना ही चाहिये था।' डाक्टर अवधेशजी चटपट उठ खड़े हुए। उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर आगन्तुक को नमस्कार किया।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 3 - भरोसा भगवान का 'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक क

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
3 - भरोसा भगवान का

'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक क

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 3 - भरोसा भगवान का 'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक की पीठपर ही सही, सोलह मील की यात्रा करके क #Books

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|| श्री हरि: ||
3 - भरोसा भगवान का

'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक की पीठपर ही सही, सोलह मील की यात्रा करके क


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