इस दुनिया में झूठ के पाँव नहीं होते झूठ बोलने वाले चैन से नहीं सोते। खेलते हैं बखूबी ये खेल लफ़्ज़ों का, खुद को सच की चाशनी में है डुबोते हर पल बदल जाता है सच इनका, कभी दिशा तो कभी दशा है छुपाते। चलते हैं चाल अपना झूठ को छुपाने को, मगरमच्छ के आँसुओं से तकिया भिगोते। बिना पाँव के चलता है झूठ बहुत दिन भी, सच्चाई को तो सभी लोग झूठा है ठहराते। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_436 👉 झूठ के पाँव नहीं होते लोकोक्ति का अर्थ - झूठ बोलने वाला एक बात पर नहीं टिकता। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखने के बाद यहाँ Done काॅमेंट करें।