इश्क़ ने अपना रंग दिखा तो दिया l इश्क़ ने अपना फर्ज़ निभा तो दिया ll कसूर उनके इश्क़ का कैसे हुआ ये बताओ.. कितना खोया तुमने खुद को बर्बाद किया l गिर गए गगन से धरा परll मगर उनकी एक ना ने बवाल मचा तो दिया l दोगुना जोश कुछ बनने का तुम में जगा तो दिया l इश्क़ ने अपना रंग दिखा तो दिया l अब तुम कोई हस्ती बनो कोई मिसाल दो , उसे दिल में बिठाये रखो या अपना रास्ता देखो l खुद को आबाद करलो और उनको हसता देखो l ये फैसला खुद को करना होगा l अब इंतजार किसका; डूबा समुंदर से किनारें तक आ तो गया l इश्क़ ने अपना रंग दिखा तो दिया l इश्क़ ने अपना फर्ज़ नीभा तो दिया ll रो रहे बैठकर किनारे कस्ती की करनी को जो उलट गई तूफ़ान में l भूलगये मगर तुम भी पलटकर आ गए हो l खुश हो जाओ लगा नहीं हाथ कुछ भी , हो गया वक़्त जाया पर खोया नहीं है खुद को अभी l खुश हो जाओ कि मिला है हौसला , वो फैसला था गलत हुआ मालूम तुमको l इस फासले ने रस्ता नया तुमको दिखा तो दिया l मर्तबान मन का भर चुका खालीपन से , बिखर ना जाए कहीं चारो ओर सम्भल तू डाल मेहनत और जोश का रसायन l बदल जाये खाली से खुशहाली बनजा उत्प्रेरक निज़ मन का किरदार जीवन के रंगमँच पर तुम्हारा आ तो गयाl इश्क़ ने अपना रंग दिखा तो दियाl इश्क ने अपना फ़र्ज़ निभा तो दिया ll अपने खून को उबाल दो या जल जाओ जवाला जो जज़्बात की जली है l कोसते रहो हालात जो कि तुम्हारी ही कमी है या इतना बना लो लाल लहू लगा लपट लाँछन भरी उठती गमों की आग से और लगाओ चोंटे सँघर्ष कि बदल दे आकार जो जटिल जर्जर जख्मि जंग जडित जड जीवन काl हालात ने हवालात से बचाकर , कस्तकार तुमको बना तो दिया l फिदरत उसकी नहीं खुद की भी तो देखो इन्सान हो बंदिशों को भी तो देखो, रहना है यहाँ तो तौर तरीक़े चलेंगे यहीं के, ये सबक दुनिया ने तुमको सीखा तो दिया l इश्क़ ने अपना रंग दिखा तो दिया l इश्क़ ने अपना फर्ज़ निभा तो दिया ll -रविन्द्र कुमार इश्क का दस्तूर