समझने में आसान नहीं, ये ज़िन्दगी एक पहेली है। सुख-दुःख में है साथ निभाती, जैसे एक सहेली है। तन्हा चलती है खुद मगर, ये साथ तुम्हारा देती है। गौर से देखो तो ज़रा, ये ज़िन्दगी कितनी अकेली है। ख़ुशियों से सराबोर कर देगी, दामन तुम्हारा भर देगी। आँगन ये गुलज़ार करेगी, जैसे दुल्हन नई नवेली है। उम्र भर ये साथ निभाती, मायूस तुम्हें न होने देगी। पुरानी यादों से जोड़े रखती, जैसे सुंदर कोई हवेली है। वफ़ा की ये बात है करती, अरमानों की एक रैली है। जीवन को मधुर राग बनाती, जाने कितनी सुरीली है। समझने में आसां नहीं, ये ज़िन्दगी एक पहेली है। सुख-दुःख में है साथ निभाती, जैसे एक सहेली है। ♥️ Challenge-572 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।