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आज भी मेरी आँखों मे वो सपने बन के रहती हैं देर से

आज भी  मेरी आँखों मे वो सपने बन के रहती हैं
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

मेरे टुटे सपनो को वो फिर से हवा दे जायेगी
बुझे बुझे लम्हों मे वो ख्वाब के पंख लगायेगी
अक्सर मुझको लगता है के पल पल मुझमे रहती है
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

उसके आँचल के साये मे छुप छुप जाया करता था
दुर,जो,मुझसे,वो,होती,तो,मैं
घबराया करता था
जाने क्यों ये लगता है की माँ तो पागल होती है
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

शाम को अक्सर दरवाजे पे बैठ के देखा करती थी
बात किसी से नही करती पर मुझको ढुंढा करती थी
फिर से मुझको चौखट पे ये लगता है वो होती है
देर से जब जब उठता हूँ,तो उसकी आहट होती है
राजीव... #raj#poema Ritika suryavanshi Parul Umale Suman Zaniyan Raj Aryan Pranshi Singh
आज भी  मेरी आँखों मे वो सपने बन के रहती हैं
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

मेरे टुटे सपनो को वो फिर से हवा दे जायेगी
बुझे बुझे लम्हों मे वो ख्वाब के पंख लगायेगी
अक्सर मुझको लगता है के पल पल मुझमे रहती है
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

उसके आँचल के साये मे छुप छुप जाया करता था
दुर,जो,मुझसे,वो,होती,तो,मैं
घबराया करता था
जाने क्यों ये लगता है की माँ तो पागल होती है
देर से जब जब उठता हूँ तो उसकी आहट होती है

शाम को अक्सर दरवाजे पे बैठ के देखा करती थी
बात किसी से नही करती पर मुझको ढुंढा करती थी
फिर से मुझको चौखट पे ये लगता है वो होती है
देर से जब जब उठता हूँ,तो उसकी आहट होती है
राजीव... #raj#poema Ritika suryavanshi Parul Umale Suman Zaniyan Raj Aryan Pranshi Singh

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