क्षणिकाएँ अकारण नहीं लिखता कुछ भी टूटा मैं भी रेत के टीले पे खड़ा था जाने कौन सा जुनून चढ़ा था मिलना नहीं लिखा था जो उसकी चाहत में पागल सा मचला था आया तूफ़ान तेज वेग का दफना गया उसी रेत में अस्थि ख़्वाब का कितना संवेदना जगा था पूरे बदन में आज लिखते लिखते लिख गया हज़ार कविता अतिसंवेदनशील में #क्षणिकाएँ #मेरेएहसास #कामिल_कवि #कुनाल #yqdidi #yqbaba #kunu