ब्रह्मचर्य का पालन करते होता नैतिक व्यवहार। बिखरी बिखरी जीवनशैली नहीं रहती यूँ लाचार। संध्या ध्यान यज्ञ तप होते नहीं होता भोंड़ा गान। ऋषिवर दयानन्द यदि होते होता घर घर वेद प्रचार। 🌺🌺🌺 💐💐💐 प्रथम वैदिक स्वतंत्रता सेनानी महर्षि दयानंद सरस्वती जी को सादर नमन। प्रथम वैदिक सेनानी (भारत का स्वतंत्रता संग्राम 1845 ई. से 30 अक्टूबर 1883) ♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️ हे दयानन्द तुझको प्रणाम- मन नित नतमस्तक होता है। हर तरफ़ मचा फिर शोर वही फिर आज ज़रूरत आपकी है।