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तुमने क्या ये गजब सा ढाया है यूँ लगा, फ़िर मुझे बुल

तुमने क्या ये गजब सा ढाया है
यूँ लगा, फ़िर मुझे बुलाया है।।

बेसबर उंगलियाँ चिट'कते वो
पसीन से तर-बतर घर आया है।।

बल्ब की रोशनी में देखा है,
हुश्न जो चांद सा छिपाया है।।

उम्र की झुर्रियां निकल आयीं
इश्क का एक दिन बिताया है।।

मैं जब भी आइने को देखूँ तो
लगे बस तू ही तू समाया है।।

खिलाफ और क्या करेगा अब
मुझी पर आज मुस्कुराया है।।

गलीचे इश्क पे लगे है राज़'
कि सर पे आसमां उठाया है।।




 #NojotoQuote गज़ब 
#razpoems #razdar  #राज़दार
तुमने क्या ये गजब सा ढाया है
यूँ लगा, फ़िर मुझे बुलाया है।।

बेसबर उंगलियाँ चिट'कते वो
पसीन से तर-बतर घर आया है।।

बल्ब की रोशनी में देखा है,
हुश्न जो चांद सा छिपाया है।।

उम्र की झुर्रियां निकल आयीं
इश्क का एक दिन बिताया है।।

मैं जब भी आइने को देखूँ तो
लगे बस तू ही तू समाया है।।

खिलाफ और क्या करेगा अब
मुझी पर आज मुस्कुराया है।।

गलीचे इश्क पे लगे है राज़'
कि सर पे आसमां उठाया है।।




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