आज आखिरकार मैंने अश्कों से दोस्ती कर ली कमी थी तो बस उन यादों की जब तुम्हारी मेरे दिल पर हकूमत थी आज इन अलफ़ाज़ों ने तुम्हारी हर अदा इस कविता में लिख दी कमी थी तो बस उस मुस्कान की जिससे मेरी पहचान थी @theforgingwords read full piece in caption आज उन बादलों के पास बूंदे तो थी कमी थी तो बस इस टप टप में तेरी खनकती आवाज की आज उन हवाओं में लहरें तो बहुत थी कमी थी तो बस उन लहरों में तेरे लफ़्ज़ों से बिखरती कशिश की