ए जिंदगी गर छोड़कर जाना ही था तो क्यों मिली अगर अपने हाथ किसी और से मिलाना ही था तो क्यों मिली हमने तो तुझसे बेइंतहा मोहब्बत की थी बड़ी शिद्दत से पहर दो पहर आजमाना ही था तो क्यों मिली दुनिया की नजरों में हम कसूरवार हो गए जो तेरे धोखों में हम शुमार हो गए किसी के जज्बातों से खेल जाना ही था तो क्यों मिली अपनी खुशबू से महकाया ही क्यों था मेरे आंगन को इतनी शिद्दत से थामा ही क्यों था मेरे दामन को मेरी रूह को रुसवा कर जाना ही था तो क्यों मिली तुम अक्सर मौके की तलाश में रहती थी मुझे लगा मेरी जिंदगी सवार दोगी मेरे दिल की छोटी सी दुनिया को निखार दोगी मौके के साथ मुझे पीछे छोड़ जाना ही था तो क्यों मिली ©Nityanand Kumar #Dark Deepak Bisht vandna mishra p. bhargav vandna mishra Deepak Bisht