झलक तुम्हारी साल का बड़ा कोई त्योहार लगे, उत्साहित मन रहे, पर सफ़ल मेरा इंतज़ार लगे। तुम झाँकों झरोखों से चाहे तिरछी निगाह तको, दिन बन जाए,फ़क़ीर मन मेरा मुझे ज़रदार लगे। अब आओगे,तब आओगे,भला कब आओगे तुम, मेरी ज़िन्दगी, मेरा हर लम्हा तेरा तलबगार लगे। क़रीब हो मेरे, मेरी साँस और हवा में हो शामिल, धड़कते मेरे दिल को, इक़ तू ही ग़म-ख़्वार लगे। हल्की मुस्कुराहट, एहसासों को थामे खड़ी तुम, लब कुछ भी न बोले,पर तेरी हया ही इज़्हार लगे। ♥️ Challenge-955 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।