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मनहरण घनाक्षरी लटक रहे दो दिल, आसमान है मंजिल सगर

मनहरण घनाक्षरी

लटक रहे दो दिल, आसमान है मंजिल
सगरे ज़हान बीच, .....प्यार महका रहे

उड़ते रंगीं गुब्बारे, प्यार की छोड़ें फुहारें
अहसास डोर सँग, ......प्रीत बहका रहे

मिलें धरती गगन, .....सँग चलती पवन
सूरज की रौशनी में, ....सिंधु चमका रहे

प्रेम पगे पग पग, .......भरें नहीं हम डग
प्रीत उड़े सँग सँग..........हम चहका रहे
                               रजनी रामदेव
                                   न्यू दिल्ली प्यारा आशियाना
मनहरण घनाक्षरी

लटक रहे दो दिल, आसमान है मंजिल
सगरे ज़हान बीच, .....प्यार महका रहे

उड़ते रंगीं गुब्बारे, प्यार की छोड़ें फुहारें
अहसास डोर सँग, ......प्रीत बहका रहे

मिलें धरती गगन, .....सँग चलती पवन
सूरज की रौशनी में, ....सिंधु चमका रहे

प्रेम पगे पग पग, .......भरें नहीं हम डग
प्रीत उड़े सँग सँग..........हम चहका रहे
                               रजनी रामदेव
                                   न्यू दिल्ली प्यारा आशियाना
rajniramdev0384

Rajni Ramdev

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प्यारा आशियाना