मैंने शमशान के भस्म से खेला होली का पावन उत्सव जब मेरी दहलीज से तीन रंगों मे लिपट के निकला मेरे प्राण प्रिय रंगों का शव प्राण प्रिय था पूत हमारा एकलौता था सूत हमारा तीन रंगों की रक्षा हेतु प्राणो को अपने त्याग दिया आज पुत्र की अर्थी को एक पिता ने आग दिया क्या फागुन क्या फाग और क्या सुनु मै फगुआ गीत जब एक पुत्र के लिए विवश माँ, की पाई न दुआ ही जीत राग सुना दो शोक का मुझको, परवाह नहीं है लोक का मुझको बैसाखी अब तो छुट गई आज ये राखी टूट गयी सिंदूर मांग की लूट गई किस्मत हमसे अब रूठ गई अक्षर भी टूट रहे मेरे, सुर मे भी अब वो राग नहीं बगीया की कलीया सूख गई, बंजर है, अब वो बाग़ नहीं मासूम परिंदे पूछ रहे , क्या दादी? हम अनाथ है कैसे समझाऊ उनको मै, तू आज भी हमारे साथ है ©✍️verma priya #myvoice #हैप्पीनेस #कोट्स #पोएम #सनसेट #BM27 रोहित तिवारी । Shikha Sharma Gulshan_Dwivedi Kavi Rajeev Nayan