तन मन थक जाएं मृदु सरभि सी समीर में बुद्धि बुद्धि में हो लीन मन में मन जी जी में एक अनुभव बहता रहे अभय आतमाओं में कब से मैं रहा पुकार जागो फिर एक बार... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख