एक सफ़र पर टकराए दो अनजाने, बीच दरिया था, वो थी दूसरे मुहाने। पानी से अठखेलियाँ करती, वो लगी लुभाने, दिल ने कहा चल यार, मिल आते हैं किसी बहाने। थोड़ी मर्ज़ी उसकी भी थी शायद, लगी वो गुनगुनाने, एक पहाड़ का दिलनशीं मौसम, उस पर दिल दीवाने। पहली बार किसी लड़की को, देखकर मैं लगा मुस्कुराने जवाबी मुस्कान से धड़का दिल, चलो बना लें अफ़साने। मिलने की नीयत से वो, बच्ची को बाग में लगी घुमाने, डरा हुआ था कि कहीं, उसके घरवालों से पड़े ना जूते खाने। फिर भी हौंसला करके चला मैं, जानने उसके पते-ठिकाने, ठिठक ठिठक कर जैसे ही पहुँचा, उसके घरवाले लगे बुलाने। हाथ आया मौका गँवा दिया था मैंने, दोस्त से सुनने पड़े ताने, अक़्ल नहीं आई तुझे, किस तरह जाते हैं लड़की से बतियाने। यारो, बस कुछ ही ऐसा हुआ था जब, हम चले थे नैना लड़ाने, देखे लाखों चेहरे उसके बाद, मगर फिर नहीं गए क़िस्मत आज़माने। एक सफ़र पर टकराए थे दो अनजाने, मैं दरिया इस ओर था, वो थी दूसरे मुहाने। पानी से अठखेलियाँ करती, वो लगी लुभाने, दिल ने कहा चल यार! मिल आते हैं किसी बहाने। थोड़ी मर्ज़ी उसकी भी थी शायद, लगी वो गुनगुनाने, एक पहाड़ का दिलनशीं मौसम, उस पर दिल दीवाने।